Monday, October 8, 2018


                   आखिर क्यों ?


आज मैं अपनी माँ के साथ बाजार गई  जहाँ मुझे एक प्यारा सा बच्चा दिखा लगभग छः वर्ष का जो अपनी मम्मी के साथ खीरे बेच रहा था.......
उसके पाऊं में टूटी हुई चप्पल थी , कपड़े फटे थे
आवाज में मासूमियत थी
 वो आवाज लगा रहा था "30 रुपए किलो खीरे लेलो
30 रुपए किलो खीरे..."
ग्राहक के पूछने पर की 25 रुपए नहीं लगेगा?
और उसका वो प्यार भरा उत्तर , आँटी जी इतने में तो हमारी भी खरीद नहीं है।
उसकी बोली इतनी स्पष्ट,मानो कोई बड़ा बोल रहा हो।
वह इतना समझदार, मानो कितने वर्षों से यह काम कर रहा हो।
उसे देखकर मन में एक प्रश्न उठा ,कि  क्यों इन मासूम बच्चों को उनका जीवन इतने संघर्ष के साथ शुरू करना पड़ता है???
 वह उम्र जो उनके खेलने की , पढ़ने की ,मस्ती करने की होती है उनके सर एक जिम्मेदारी दे दी जाती है।
आखिर क्यों ??

      शोभा जीना

26 comments:

  1. वाह शोभा... आपने बहुत ही सरल तरीके से बहुत गहरी बात को अभिव्यक्त किया है...😊👌

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    1. धन्यवाद दीपिका जी ☺

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  2. Hai saku wak baju wek eja ki dabal ni dimnal

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  3. Nice shobha it's today very big problem

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  4. Beautiful thoughts well done sobha carry on👌👏👍

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  5. Apne is story m ak poor boy ki financial condition ko dikhaya hai ki kis Prakar woh Itni Choti Si age main b sab kuch Janane k Dawa karta hai.........good carry on.

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  6. Paristhiyan umr se phle mature or bda bna deti h......but truely ryt said mam😊

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    1. हाँ सही कहा जैसे ईदगाह का हामिद वैसे ये बच्चा ☺

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