Monday, October 29, 2018


बचपन के दिन



सुख-दुख , हँसी-मजाक
ये सब हैं बचपन के
बेहतरीन पल

वो मम्मा को परेशान करना
पापा को घोड़ी बनाकर खेलना
दीदी के साथ मस्ती करना
भैया के साथ बेमतलब लड़ना

ये सब है बचपन के
बेहतरीन पल

आज महसूस होती है
उन पलों की अहमियत

जब कोई नहीं है साथ
व्यस्त है सबका जीवन।।

आज महसूस होती है
          उन पलों की अहमियत......।।


            शोभा जीना

Wednesday, October 10, 2018

चुप्पी

एक प्यारी सी खूबसूरत , चुलबली लड़की एक दिन गुमसुम , मायूस , उदास,घबराई हुई बैठी थी ।  उसके परिवार के सभी सदस्य उससे उसकी मायूसी की वजह पूछ रहे थे , परन्तु वह किसी को कुछ नहीं बता रही थी ।  उसकी मां इस मायूसी को देखकर असमंजस में पड़ जाती है कि आखिर इतना हँसने-बोलने वाली लड़की इतनी चुप क्यों है ? दिन बीतते गए अब वह 23 वर्ष की हो गई , परन्तु उसके स्वभाव में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला, वह और अधिक गुमसुम रहने लगी।।

एक दिन मां के बार - बार पूछे जाने पर कि आखिर ये मायूसी क्यों ? लड़की फूट-फूट कर रोने लगी और उसने अपनी मां से केवल एक प्रश्न किया कि मां.... क्या लड़की होना गुनाह है ????
और फिर छा गई वही चुप्पी जो  केवल वही दोनों समझ सकते हैं ।।



              शोभा जीना

Monday, October 8, 2018


                   आखिर क्यों ?


आज मैं अपनी माँ के साथ बाजार गई  जहाँ मुझे एक प्यारा सा बच्चा दिखा लगभग छः वर्ष का जो अपनी मम्मी के साथ खीरे बेच रहा था.......
उसके पाऊं में टूटी हुई चप्पल थी , कपड़े फटे थे
आवाज में मासूमियत थी
 वो आवाज लगा रहा था "30 रुपए किलो खीरे लेलो
30 रुपए किलो खीरे..."
ग्राहक के पूछने पर की 25 रुपए नहीं लगेगा?
और उसका वो प्यार भरा उत्तर , आँटी जी इतने में तो हमारी भी खरीद नहीं है।
उसकी बोली इतनी स्पष्ट,मानो कोई बड़ा बोल रहा हो।
वह इतना समझदार, मानो कितने वर्षों से यह काम कर रहा हो।
उसे देखकर मन में एक प्रश्न उठा ,कि  क्यों इन मासूम बच्चों को उनका जीवन इतने संघर्ष के साथ शुरू करना पड़ता है???
 वह उम्र जो उनके खेलने की , पढ़ने की ,मस्ती करने की होती है उनके सर एक जिम्मेदारी दे दी जाती है।
आखिर क्यों ??

      शोभा जीना